खगडि़या गौशाला मेला का इस बार 135वां साल है। इसकी ख्याति दूर-दूर है। 12 नवंबर से सात दिवसीय मेला शुरू होगा। जिलेवासियों को इसका इंतजार है। गौशाला मेला देखने के लिए काफी संख्या में लोग यहां आते हैं।
जागरण संवाददाता, खगड़िया। खगड़िया गौशाला मेला की ख्याति दूर-दूर तक है। फरकिया समेत कोसी और अंग के लोगों को इस मेला का इंतजार रहता है। बीते दो वर्षों से कोरोना के कारण मेला नहीं लग रहा था। इस वर्ष प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। इससे मेला समिति समेत आम लोग खुश है। 12 नवंबर से सात दिनी गौशाला मेला का शुभारंभ हो जाएगा। यह मेला का 135वां साल है। जिलेवासियों को मेले का बेसब्री से इंतजार है। गौशाला मेला, सन्हौली, खगड़िया को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। मेला के दौरान दंगल में देश के कोने-कोने से पहलवान आते हैं। दंगल के उदघोषक कृष्णमोहन सिंह मुन्ना कहते हैं- अभी भी गौशाला मेला का रूप-स्वरूप ग्रामीण है। 14 नवंबर से दंगल आरंभ हो जाएगा। बाहर के पहलवानों से संपर्क साधा जा रहा है।
यहां दशकों पूर्व मेले में ‘चिड़ियाघर’ आकर्षण का केंद्र होता था। जिसमें बाघ, चीता, हिरण, हाथी, घोड़े, अजगर तक होते थे। लेकिन सरकार द्वारा ‘चिड़ियाघर’ को बंद करने के बाद मेले का आकर्षण अब तरह-तरह के झूले, मीना बाजार और श्रीकेसरी नंदन व्यायामशाला की ओर से आयोजित दंगल अर्थात कुश्ती है। मालूम हो कि गौशाला मेला की आमदनी से ही गौशाला का संचालन होता है। बीते दो वर्षां से मेला नहीं लगने के कारण खगड़िया गौशाला आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहा है। अब यह
कठिनाई दूर होने वाली है। मेले में विभिन्न सरकारी विभाग की ओर से भी प्रदर्शनी लगाई जाती है, जो आकर्षण का केंद्र होता है। खगड़िया गौशाला संचालन समिति के सदस्य अनिरुद्ध जलान कहते हैं- मेला की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। गौशाला मेला की तैयारी शुरू कर दी गई है। वे कहते हैं- पहले गौपाष्टमी मेला अर्थात गौशाला मेला छोटी सी जगह पर लगता था। दशकों पहले तत्कालीन डीएम अजित कुमार की पहल पर गौशाला मेला का कायाकल्प हुआ। जिसमें तत्कालीन एसडीओ संतोष मैथ्यू का भी अहम योगदान रहा। अब तो मेला से लाखों की आमदनी होती है। मेला की आमदनी से ही मुख्य रूप से यहां गौ-माता की सेवा होती है।